" जो
शब्दों से लिखी जाती है वह दरअसल कविता नहीं होती कविता जैसी एक चीज होती
है ...कविता महसूस की जाने वाली एक अनुभूति है ...बेटी को गौर से देखो
कविता दिखेगी ...बहन को गौर से देखो कविता लगेगी ...माँ को गौर से देखो
कविता महसूस होगी ...एक मुजस्सम सी दीर्घायु कविता ...यों तो प्रेमिका या
पत्नी भी कविता जैसी कोई चीज होती है कविता का चुलबुला सा बुलबुला जिसमें
दिखता है इन्द्रधनुष पर फूट जाता है ...कविता स्त्रेण्य अभिव्यक्ति है और
उसके तत्व आत्मा, भावना,कल्पना,करुणा भी स्त्रेण्य अभिव्यक्ति है."
----राजीव चतुर्वेदी
"यह राग रंग की आवाजें
यह शब्दों की अंतरध्वनियाँ
यह खून शिराओं से चल कर दिल पर दस्तक जो देता है
स्मृतियों की पदचाप सुनो तुम अपने बीराने में
आहत मन की आहट का आलेख ----यही कविता है
भाषा के पहले शब्दों के नाद हुए अनुवाद जहां
कविता उसके पहले भी आई थी
वह दस्तक दर्ज हुयी है दस्तावेजों में
कुछ अपने आंसू
कुछ खुशियाँ , कुछ खून की बूँदें
शब्दों की नज़रों से ओझल प्यार तुम्हारा
लिख पाओ तो मुझे बताना
कह पाओ तो मुझे सुनाना
जीवन की इस पृष्ठ भूमि पर कविता और लिखी जानी है
यह राग रंग की आवाजें
यह शब्दों की अंतरध्वनियाँ
यह खून शिराओं से चल कर दिल पर दस्तक जो देता है
स्मृतियों की पदचाप सुनो तुम अपने बीराने में
आहत मन की आहट का आलेख ----यही कविता है ." -----राजीव चतुर्वेदी
7 comments:
वही आहट औरों को सुकून देती है।
बेहतरीन प्रस्तुति ...
आहत मन की आहट का आलेख ----यही कविता है .………शायद सही कहा है।
कल 27/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
अति सुंदर...........
कविता की सुन्दर परिभाषा!
कविता की सुन्दर व्याख्या ,शब्दों का प्रभावशाली आवरण ,बधाई सुन्दर पोस्ट हेतु.मेरी नई पोस्ट पर स्वागत है।
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