" चमगादड़ के शब्दकोष में सूरज अंधियारा करता है
और वैश्यायों की बस्ती में हनीमून करनेवालों से हनुमान की बात न करना
युग के साथ थिरकते देखो मानदंड भी
आत्ममुग्धता का अंधियारा और अध्ययन का उथलापन
गूलर के भुनगों की दुनिया कोलंबस की भूल के आगे नतमस्तक है
हर जुगनू की देखो ख्वाहिश सूरज की पैमाइश ही है.
और शब्द संकेतों को तुम पढ़ पाओतो मुझे बताना
गिद्ध -बौद्ध में अंतर क्या है ?
सोमनाथ के दरवाजे हमने खोले थे
दयानंद को जहर खिला कर हमने मारा
गांधी के हत्यारे हम हैं
षड्यंत्रों को शौर्य न समझो
शातिर के हाथों में मोटा शब्दकोष है
हर कातिल के खंजर पर लोकतंत्र की ख्वाहिश देखो
बल्बों के बलबूते देखो हर सूरज को अपमानित करना आम बात है
युग के साथ थिरकते देखो मानदंड भी
चमगादड़ के शब्दकोष में सूरज अंधियारा करता है
और वैश्यायों की बस्ती में हनीमून करनेवालों से हनुमान की बात न करना." -- राजीव चतुर्वेदी
1 comment:
अपने विश्व के परे सारे विश्व बेगाने लगते हैं
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