"प्यार की परिभाषा पानी ने पूछी पत्थरों से,
रेत चीखी और यह कहने लगी
तू तो बहता जा रहा था एक रवानी की तरह
मैं टूटती ही रह गयी जिंदगानी की तरह." ----राजीव चतुर्वेदी
रेत चीखी और यह कहने लगी
तू तो बहता जा रहा था एक रवानी की तरह
मैं टूटती ही रह गयी जिंदगानी की तरह." ----राजीव चतुर्वेदी
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