Shabd Setu
Saturday, April 14, 2012
और हम अफ़सोस का तकिया लगा कर सो गए
"
सच के सूचकांक पर अखबार औंधे मुंह गिरा
शब्द सहमे से बयानों में कहीं गुम हो गए
जुबां को रूमाल सा तह कर दिया तहजीब से
ख्वाहिशों को दिल में दफ़न करके हम रो गए
फासले पर फैसला था और संसद मौन थी
और हम अफ़सोस का तकिया लगा कर सो गए
.
"
-- राजीव चतुर्वेदी
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