" ऐ उड़ते हुए फरिश्तो,--- मेरी फेहरिस्त देख लो
हैं नाम इसमें दर्ज वही लोग हैं यहाँ
जिनका ज़मीर जिंदा है जज़्वात हैं वहां
अभी ऐतबार बाकी है मुझे कुछ और दिन रहना है
अभी प्यार बाकी है कुछ लोगों को उसे देना है
वो मोहब्बत, वो इमारत, वो इबारत डूबती है आँख में मेरी
मैं और रहना चाहता था, जिन्दगी से प्यार मेरे यार मुझको भी था
मैं जाता हूँ ,...सफ़र है यह, ...गुजरता हूँ गुजारिश से
मैं नहीं रहूँगा फिर भी कर सको तो मेरी वफाओं पे ऐतबार कर लेना
ऐ उड़ते हुए फरिश्तो मेरी फेहरिस्त देख लो
सफ़र लंबा है,...मुझे जाना है ,...चल रहा हूँ मैं ..." -----राजीव चतुर्वेदी (20 April'12) हैं नाम इसमें दर्ज वही लोग हैं यहाँ
जिनका ज़मीर जिंदा है जज़्वात हैं वहां
अभी ऐतबार बाकी है मुझे कुछ और दिन रहना है
अभी प्यार बाकी है कुछ लोगों को उसे देना है
वो मोहब्बत, वो इमारत, वो इबारत डूबती है आँख में मेरी
मैं और रहना चाहता था, जिन्दगी से प्यार मेरे यार मुझको भी था
मैं जाता हूँ ,...सफ़र है यह, ...गुजरता हूँ गुजारिश से
मैं नहीं रहूँगा फिर भी कर सको तो मेरी वफाओं पे ऐतबार कर लेना
ऐ उड़ते हुए फरिश्तो मेरी फेहरिस्त देख लो
1 comment:
वाह अंतर मन को छू जाने वाली रचना...
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