Shabd Setu
Monday, February 27, 2012
बेटियाँ सहमी सी थीं कस्ती सी साहिल पे बंधी
"बेटियाँ सहमी सी थीं कस्ती सी साहिल पे बंधी,
सपने उनके दूर की दुनिया का सफ़र करते रहे."
--राजीव चतुर्वेदी
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