" प्यार की परिभाषा बताओ तुम मुझे
शब्दकोशों मैं कहाँ गुम हो गयी
प्यार के माने अगर है वासना
तो मिलो तुम जिन्दगी की चढ़ाई के उतरते रास्तों में
प्यार की दहलीज यदि हो देह तेरी
मुझसे मिलना रूह जब रोती खड़ी हो रास्ते में
मुझसे पूछो तो समझ लो ध्यान देकर
प्यार याचक हो तो है आराधना
प्यार शोषक हो तो है वह वासना
प्यार में घंटी बजे मंदिर के जैसी
तो समझना प्यार है उपासना." --- राजीव चतुर्वेदी
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