Wednesday, February 22, 2012

नीहारिका नाराज हो कर गिर रही है

"अहसास की स्पर्श रेखा यों न खींचो,
आईना आँखों में हो आंसू नहीं. "

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"और जो नीहारिका नाराज हो कर गिर रही है
उससे कहदो आज धरती बांह फैलाए हुए है."

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"मैं काँधे पे भूगोल लिए भाग रहा हूँ,
हांफती साँसों ने पूछा घर कहाँ है ?" ---- राजीव चतुर्वेदी

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