Thursday, March 22, 2012

"सोच लूं सजदे के पहले, वह इस काबिल है भी क्या ?"


"सोच लूं सजदे के पहले,
वह इस काबिल है भी क्या ?
----राजीव चतुर्वेदी

4 comments:

अशोक सलूजा said...

बहुत उम्दा !खूबसूरत अहसास ! इंसानियत में प्यार ढूंढता अहसास ....!
मुबारक आप की सोच को |
शुभकामनाएँ!

सदा said...

बहुत खूब ।

रश्मि प्रभा... said...

न हुआ काबिल तो समझेगा नहीं

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...





"सोच लूं सजदे के पहले,
वह इस काबिल है भी क्या ?"



वाह वाह !
सच कहा आपने ...
क्या बात है ...