Shabd Setu
Saturday, March 24, 2012
उन्हें समझो तो कविता समझ लेना
"अँधेरे में उजाले और भूख में निवाले के बीच संवेदना की भगदड़ है,
कुछ शब्द बिखरे हैं, कुछ निखरे हैं उन्हें समझो तो कविता समझ लेना."
-----राजीव चतुर्वेदी
2 comments:
Yashwant R. B. Mathur
said...
बहुत खूब सर!
सादर
March 24, 2012 at 8:02 AM
प्रवीण पाण्डेय
said...
बहुत खूब है..
March 24, 2012 at 8:32 AM
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2 comments:
बहुत खूब सर!
सादर
बहुत खूब है..
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