Tuesday, January 1, 2013

ज़िंदा कातिल पर भारी पड़ता है एक मुर्दा सन्नाटा

"ज़िंदा कातिल पर भारी पड़ता है एक मुर्दा सन्नाटा
काँप जाता है ज़िंदा आदमी
तुम सूली पर चढ़ा सकते हो तो चढ़ा दो उसे
ठोक दो कीलें उसके दिल दिमाग हाथ और पैरों पर
क़त्ल कर दो उसे सरेआम
उसकी मौत तुम पर भारी पड़ेगी एक दिन
खंडित हो जाएगा काल
और फिर वह "काल-खंड" कहलाएगा
टांगा था ईसा को तो देखलो यह सच लटकता हुआ ...खंडित काल खंड
युग बाँट गया "ईसा पूर्व" और "ईसा बाद" में .
पर याद रखो
ईसा मसीह के अनुयायी
साल दर साल सलीब सजाते हैं
लाखों नयी सलीब बनाते हैं
और उसपर ईसा को टांग कर जश्न मनाते हैं
सलीबें तोड़ते नहीं देखे
याद रहे
ईसा के अनुयाईयों ने ही टांगा था गैलीलियो को मौत के सलीब पर
गैलीलियो सच था और फिर ब्रम्हांड बाँट गया
सलीब पर टंगे लोगों की आह से
दुनिया बाँट गयी पहली दूसरी और तीसरी दुनिया में
सलीब पर टंगा असहाय दिखता सच
काल खंड को बाँट देता है
क्योंकि सच के लिए मर चुका आदमी दोबारा मर नहीं सकता
इसलिए निर्भीक होता है ...पूरी तरह एक मुर्दा मृतुन्जय
सच के लिए सचमुच मर चुके लोगो
अब तुम्हारे ज़िंदा होने का समय आ गया है
पहले से भी ज्यादा ज़िंदा और धड़कते हुए
ईसा पूर्व ...ईसा बाद ...शताब्दी ...साल महीने ..सप्ताह ..दिन में धड़कते हुए
बता दो उन्हें क़ि तुम जिन्हें वक्त की सूली पर टंगा मरा हुआ सा असहाय समझते थे
वह सभी सत्य ज़िंदा होगये हैं
तारीख बदले गी तो तवारीख भी बदलेगी ...तश्दीक कर लेना
बदल दो नए साल का केलेंडर" ----राजीव चतुर्वेदी