"चीख लेने दो मुझे
रात लम्बी है
और सर्द बेहद
सबेरा होगा --लोग कहते हैं
यकीन नहीं होता
यूं भी दिनमान पर कोहरे का कहर जारी है
ओस खामोश है फूलों के रुखसारों पर
खून की बूँद नज़र आती हैं कुछ खारों पर
और तारों ने भी तहजीब की चुप्पी साधी
रात को देर गए दहशत दस्तक दे रही दरवाजों पर
सबेरा होगा --लोग कहते हैं
यकीन नहीं होता
रात लम्बी है
चीख लेने दो मुझे ." ----राजीव चतुर्वेदी
रात लम्बी है
और सर्द बेहद
सबेरा होगा --लोग कहते हैं
यकीन नहीं होता
यूं भी दिनमान पर कोहरे का कहर जारी है
ओस खामोश है फूलों के रुखसारों पर
खून की बूँद नज़र आती हैं कुछ खारों पर
और तारों ने भी तहजीब की चुप्पी साधी
रात को देर गए दहशत दस्तक दे रही दरवाजों पर
सबेरा होगा --लोग कहते हैं
यकीन नहीं होता
रात लम्बी है
चीख लेने दो मुझे ." ----राजीव चतुर्वेदी
1 comment:
यदि सन्नाटा काटने को दौड़े तो चीख जरूरी है।
Post a Comment