"मशाल के विरुद्ध बीड़ी और अगरबत्ती ने आरक्षण की
मांग की है। कोयल की कुलीनता पर संदेह व्यक्त करते हुए कुछ कौओं ने गायन
में आरक्षण की फरमाइश की है। डिस्टिल वाटर हो या ग्लूकोज उसमें नाले के
पानी को आरक्षण देते हुए मिलाना होगा। बारूद में भूसे को आरक्षण दे कर देश
की रक्षा के लिए बम बनाया जायेगा। एक बहन जी बतख ने कहा है कि वह हंस का
कांसीराम संस्करण है ...हंसिये नहीं -- यह भारतीय राजनीति का व्याकरण है।. "
---- राजीव चतुर्वेदी
2 comments:
सन्नाट..
वाह ...सटीक ....!!!!
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