"इस गाँव में अहसास के छप्पर तो बहुत पुराने हैं,
पर उस बूढ़ी गाय को कसाई को किसने बेचा ?
खेत अपने थे, खलिहान अपने, आढतें दूसरों की
यह अजीब दौर था जब कीमतें बढ़ती थी ऊसरों की
यह सच है भूख थी और फसल थी फासले पर,
जो शातिर लोग संसद में हैं उनको वोट किसने बेचा ?"
----राजीव चतुर्वेदी
----राजीव चतुर्वेदी
2 comments:
सटीक प्रश्न हैं और उत्तर की प्रतीक्षा है..
mantri aur jameedar ke bas naam aur padvi badal gayi hai. haalaat vahi hain.
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