"सत्य के सारे सितारे सो गए सागर किनारे,
झूठ के झंखाड़ सत्य के साहिल पे सिंचित हैं.
चरित्र की चट्टाने सभी अब रेत बन कर राह में बिखरी पड़ी है,
दौर ऐसा है कि हर शातिर को सुविधा है और संत चिंतित हैं."
-----राजीव चतुर्वेदी
झूठ के झंखाड़ सत्य के साहिल पे सिंचित हैं.
चरित्र की चट्टाने सभी अब रेत बन कर राह में बिखरी पड़ी है,
दौर ऐसा है कि हर शातिर को सुविधा है और संत चिंतित हैं."
-----राजीव चतुर्वेदी
2 comments:
बहुत बढ़िया...!
बड़ा विकट समय आया रे...
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