Saturday, December 8, 2012

वह कसमों सा आया और रस्मों सा चला गया

"वह कसमों सा आया और रस्मों सा चला गया ,
मैं पेड़ों सी खडी रही
वह हवा सा गुज़र गया
हिला गया बदन मेरा
खिला गया वह मन मेरा
वह गुज़र गया तो पता चला
मुझे गुजारिशों पे गुरूर था .
" ---- राजीव चतुर्वेदी

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