Tuesday, December 11, 2012

अरे डॉक्टर यह दिल है मेरा


"अरे डॉक्टर यह दिल है मेरा
वह और होंगे जिनका दिल मशीन होता है
मेरा दिल लोगों के हंसने पर हंसता है
लोगों के रोने पर रोता है
स्नेह से देख ले कोई तो इसमें भी कुछ-कुछ होता है
इसमें करुणा है श्रृंगार है
इसमें जीने की चाहत का अधिकार है
इसमें खो गए सपने हैं
इसमें रो रहे अपने हैं
इसमें देश का सपना है
इसमें एक भीड़ है उसमें एक चेहरा निहायत अपना है
इसमें कुछ चहक है
खून सूंघो उसमें भी कुछ महक है
खून का ग्रुप तुम्हारी स्वार्थी लेबोरेट्री नहीं जांच सकती
मेरे खून का ग्रुप राष्ट्र पोजेटिव है
तुम तो डॉक्टर हो कमीसन खा कर दवा बेचते हो
पैसा लेकर ही दुआ बेचते हो
स्वार्थी हो इस लिए तुम्हारी अर्थी का भी मेरे लिए कोइ अर्थ नहीं
वह व्यर्थ है
मैं होश में तुम्हारे यहाँ नहीं आता
बेहोशी में मुझे लोग यहाँ ले आये होंगे
मत देखो मेरा इलेक्ट्रो कार्डियोग्राम
मेरे दिल को समझना हो तो मेरी कविता पढ़ लेना
मैं वही लिखता हूँ जो जीता हूँ
तुम स्वार्थी हो मैं तुम्हारे अस्पताल से जाना चाहूंगा
गलती से आ गया ... या ले आया गया ...तब होश में नहीं था
तुम स्वार्थी हो मैं तुम्हारे अस्पताल से जाना चाहूंगा
अगर यह दुनियाँ भी तुम्हारे जैसी है तो मैं उससे भी जाना चाहूंगा
इस दुनियाँ में

गलती से आ गया ... या ले आया गया ...तब होश में नहीं था
अरे डॉक्टर यह दिल है मेरा
वह और होंगे जिनका दिल मशीन होता है
मेरा दिल लोगों के हंसने पर हंसता है
लोगों के रोने पर रोता है ." -----राजीव चतुर्वेदी

2 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

कैसे कह दें, दिल न धड़के।

Vandana Agnihotri said...

kya bat hai