"मैं चाहता था कि राष्ट्र योग्य हाथों में हो
पर तेतीस प्रतिशत दलितों का कोटा है
सताईस प्रतिशत पिछड़ों का कोटा है
आबादी के हिसाब से तो पारसी जैन और सिख ही असली अल्पसंख्यक हैं पर
बरबादी करने की क्षमता से दूसरे नंबर के बहुसंख्यक
मुसलमानों को भी अल्पसंख्यक मान लिया जाए
यह तो गिनती थी बौद्धिक विकलांगों की
यद्यपि शरीर में बुद्धि भी शामिल है
पर यह सिद्दांत भी न्याय की बात करता है अतः उनपर लागू नहीं होता
अभी बुद्धि के अलावा शेष शारीरिक विकलांग शेष हैं
द्रोणाचार्य और एकलव्य के प्रति हर प्राश्चित का प्रतिशत है
हर भक्षण करने वाले को संरक्षण है
परभक्षी को आरक्षण है
सत्ता वंशानुगत है
पदोन्नति क्रमानुगत है
नौकरी जुगत है
योग्यता गतानुगत है
बुद्धि विगत है
हम अच्छी नश्ल के गाय भेस कुत्ते घोड़े पालते हैं पर आदमी नहीं
याद रहे हर विशेषण शोषण का समानुपातिक हक़ होता है
यहाँ राष्ट्र के भक्षण के हर अवसर पर आरक्षण है ." ----- राजीव चतुर्वेदी
यद्यपि शरीर में बुद्धि भी शामिल है
पर यह सिद्दांत भी न्याय की बात करता है अतः उनपर लागू नहीं होता
अभी बुद्धि के अलावा शेष शारीरिक विकलांग शेष हैं
द्रोणाचार्य और एकलव्य के प्रति हर प्राश्चित का प्रतिशत है
हर भक्षण करने वाले को संरक्षण है
परभक्षी को आरक्षण है
सत्ता वंशानुगत है
पदोन्नति क्रमानुगत है
नौकरी जुगत है
योग्यता गतानुगत है
बुद्धि विगत है
हम अच्छी नश्ल के गाय भेस कुत्ते घोड़े पालते हैं पर आदमी नहीं
याद रहे हर विशेषण शोषण का समानुपातिक हक़ होता है
यहाँ राष्ट्र के भक्षण के हर अवसर पर आरक्षण है ." ----- राजीव चतुर्वेदी
3 comments:
सन्नाट..
जातिगत आरक्षण इस देश का दुर्भाग्य . वोट की राजनीति इस देश का अभिशाप . जातिगत आरक्षण उसी वोट की राजनीति की एक कला .
आरक्षण जाति या धर्म के आधार पर नहीं होना चाहिए. यह मानवता के प्रति एक अपराध है. इससे लोकतंत्र नहीं लोभतंत्र उभर कर सामने आता है. न्यूनतम आय वर्ग से नीचे आने वाले लोग यदि आरक्षण का लाभ उठाये तो उन्हें कठोरतम दंड होना चाहिए.
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