"कुछ अक्श ऐसे थे जो आईनों में आकार ही लेते रहे
कुछ आह ऐसी थीं जो आहट सी थीं संगीत में
कुछ शब्द ऐसे थे जो अक्ल की अंगड़ाईयों में कैद थे
जिन्दगी के इस सफ़र में जो मिला ठहरा नही
इस दौर की भी कुछ लकीरें दर्ज हैं अब समय की रेत पर
समंदर की लहरों से टकरा रही होंगी
न अक्शों में, न आहों में , न शब्दों में, न सफ़र पर, न रेत की मिटती लकीरों में
तुम कहाँ हो ?
उनवान के नीचे का कोरा पन्ना खोजता है वह इबारत जो दर्ज होनी शेष है
क्या तुम्हारा नाम लिख दूं स्नेह के सारांश सा ?
हमसफ़र किसको कहूं फिर यह बताओ ?
सफ़र लंबा है... अभी जाना है मुझे दूर तुमसे...चलता हूँ मैं." -------राजीव चतुर्वेदी
कुछ आह ऐसी थीं जो आहट सी थीं संगीत में
कुछ शब्द ऐसे थे जो अक्ल की अंगड़ाईयों में कैद थे
जिन्दगी के इस सफ़र में जो मिला ठहरा नही
इस दौर की भी कुछ लकीरें दर्ज हैं अब समय की रेत पर
समंदर की लहरों से टकरा रही होंगी
न अक्शों में, न आहों में , न शब्दों में, न सफ़र पर, न रेत की मिटती लकीरों में
तुम कहाँ हो ?
उनवान के नीचे का कोरा पन्ना खोजता है वह इबारत जो दर्ज होनी शेष है
क्या तुम्हारा नाम लिख दूं स्नेह के सारांश सा ?
हमसफ़र किसको कहूं फिर यह बताओ ?
सफ़र लंबा है... अभी जाना है मुझे दूर तुमसे...चलता हूँ मैं." -------राजीव चतुर्वेदी
6 comments:
दृश्य मुझको रोकते हैं..
कई बार तलाश उम्र भर रहती है ... पर अक्स शक्ल का रूप नहीं लेते ...
आपकी रचना मषतिश्क को नव चेतना प्रदान करती है, आप सही अर्थों में सृजनहार हो....आपकी रचना के सम्बन्ध में मै कुछ भी कहना सूर्य को दीपक दिखाने के समान है.....बस प्रत्येक रचना के लिये ह्दय से आह के साथ वाह निकलती है।
Aap dil ki gahrayio se nikalati ,bahut sa sach byan kar jaati hai
Yumhara naam likh du ??
उभड़ती , उमड़ती प्यासों की अनवरत निष्फल खोज को चित्रित करती,जिन्दगी की वास्तविकता को दर्शाती, भावुक और अति सुन्दर पंक्तियाँ
Bahut Umda
-Aradhana Singh
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