Shabd Setu
Wednesday, May 16, 2012
हमसफ़र बनने चले थे हम जुदा क्यों हो गए ?
"
रास्तों का इस तरह इस्तेमाल कुछ हमने किया,
हमसफ़र बनने चले थे हम जुदा क्यों हो गए ?
"
----राजीव चतुर्वेदी
"
वह एक कश्ती थी साहिल को तलाशा करती थी,
मैं एक तीर सा हवाओं में उड़ा फिर गुम हो गया .
"
----राजीव चतुर्वेदी
3 comments:
Anamikaghatak
said...
wah ji ....badhiya
May 16, 2012 at 10:08 AM
Unknown
said...
Kya baat hai bahut khub
June 15, 2015 at 7:13 PM
Isha
said...
Lovely expression...
June 26, 2015 at 6:21 PM
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3 comments:
wah ji ....badhiya
Kya baat hai bahut khub
Lovely expression...
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