"आँख से जो गिरा था मेरी उसे आंसू किसने कहा ?
तश्वीर थी मेरे घर के लोगों की और कुछ मेरे वह दोस्त थे.
न मैं नुमाइश कर सका न तुम पे था पैमाइश का सऊर,
जख्म थे गहरे मेरे और ख्वाब खून आलूद थे ." ----- राजीव चतुर्वेदी
(खून आलूद = रक्त रंजित )
तश्वीर थी मेरे घर के लोगों की और कुछ मेरे वह दोस्त थे.
न मैं नुमाइश कर सका न तुम पे था पैमाइश का सऊर,
जख्म थे गहरे मेरे और ख्वाब खून आलूद थे ." ----- राजीव चतुर्वेदी
(खून आलूद = रक्त रंजित )
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