Friday, May 11, 2012

अपनी जिन्दगी का मध्यांतर तलाशती इन पीढ़ियों से पूछ लो

"बच्चों के ज्योमेट्री बोक्स में न सपनो को नापने के यंत्र हैं न सच को,
क्यों पढ़ाते हैं इन्हें और क्या पढ़ाते हैं इन्हें ?
यंत्र से षड्यंत्र को हम बताते हैं इन्हें
झूठ की पैमाइश की ख्वाहिश लिए
दुनिया के अक्षांश और देशांतर के बीच
अपनी जिन्दगी का मध्यांतर तलाशती इन पीढ़ियों से पूछ लो
सच तो सच है वह शिक्षा की इन दुकानों पर बिकता नहीं है
इस अथक सी दौड़ में मिथक का यह बुलबुला
हमारी उम्र से ज्यादा यहाँ टिकता नहीं है." ----- राजीव चतुर्वेदी

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

हम अपने सपने जो थमा देते हैं बच्चों को..