Sunday, April 21, 2013

तुम कविता में तुकबन्दी के माहिर हो

"तुम कविता में तुकबन्दी के माहिर हो ,
मैं तीखे तर्कों से पैगाम दिया करता हूँ
तुम इष्ट साधना को अभीष्ट समझे हो
मैं विवश वेदना को आकार दिया करता हूँ .
"
----राजीव चतुर्वेदी

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

शब्द समेट सकें वेदना को तो समेट लें..