"तुम कविता में तुकबन्दी के माहिर हो ,
मैं तीखे तर्कों से पैगाम दिया करता हूँ
तुम इष्ट साधना को अभीष्ट समझे हो
मैं विवश वेदना को आकार दिया करता हूँ ."
----राजीव चतुर्वेदी
मैं तीखे तर्कों से पैगाम दिया करता हूँ
तुम इष्ट साधना को अभीष्ट समझे हो
मैं विवश वेदना को आकार दिया करता हूँ ."
----राजीव चतुर्वेदी
1 comment:
शब्द समेट सकें वेदना को तो समेट लें..
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