Monday, May 6, 2013

दवाएं नकली ,दुआएँ फर्जी और च्यवनप्राश बहुत मँहगा है

"च्यवनप्राश बहुत मँहगा है
माँ , मेरे पास अब कुछ भी नहीं
सिवा तेरे दिए दीर्घायु होने के आशीर्वाद के
वह दठोना तो कब का मिट गया
जो तैने लोगों की बुरी नज़र न लगने के लिए लगाया था
तेरे रहने तक मैं दीर्घायु नहीं होना चाहता था
अब मेरा छोटा सा बेटा है
मैं चाहता हूँ वह दीर्घायु हो
पर च्यवनप्राश बहुत महगा है
बाहर चल रही हैं विषैली हवाएं
दवाएं बहुत महगी हैं
दुआएं मिलती नहीं बाज़ार में
इस गंदी दुनियाँ में गुजारा कर लिया मैंने
अब गुजर जाऊं तो अफ़सोस मत करना
तुम्हें फिर भी दीर्घायु होना है
क्योंकि दवाएं नकली ,दुआएँ फर्जी
और च्यवनप्राश बहुत मँहगा है .
" -----राजीव चतुर्वेदी

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

वेदना व्याप्त है समाज में..