"एक अहसास निखरता है मेरे मन में गुमाँ बनता है,
एक अफ़सोस बिखरता है बियाबानो तक
एक अरमान मेरे दिल में धधकता है धुंआ बनता है,
उस धुँएं में तश्वीर तुम्हारी,
तासीर मेरी
तकदीर किसी और की है,
सपने जो खो गए हैं उनकी सुबह का सूरज शिनाख्त कर लेगा
पर हर हकीकत का हस्र है यही
हैरान सी गुमनाम खड़ी होगी किसी चौराहे पर
पूछ लेना उससे वह मेरा पता बतला देगी
चले आना
...यही बात गूंजती है मेरे मन में गुजारिश की तरह." -----राजीव चतुर्वेदी
हैरान सी गुमनाम खड़ी होगी किसी चौराहे पर
पूछ लेना उससे वह मेरा पता बतला देगी
चले आना
...यही बात गूंजती है मेरे मन में गुजारिश की तरह." -----राजीव चतुर्वेदी
1 comment:
बहुत खूब, बहुत गहरा..
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