"शबनम की शरारा से शरारत को सऊर मत समझो ,
समंदर के अन्दर समाया है बहुत कुछ
इसे समंदर का गुरूर मत समझो
मेरी आँखें आक्रोश से सुर्ख सी हैं इसको सुरूर मत समझो
फातिहा पढ़ के लौट आने दो मुझे तुझे फ़तह कर लूंगा
मैं किसी शख्स की नहीं , रियासत की नहीं
मुल्क की ही इबादत करता हूँ , इसे सियासत मत समझो ." ---- राजीव चतुर्वेदी
समंदर के अन्दर समाया है बहुत कुछ
इसे समंदर का गुरूर मत समझो
मेरी आँखें आक्रोश से सुर्ख सी हैं इसको सुरूर मत समझो
फातिहा पढ़ के लौट आने दो मुझे तुझे फ़तह कर लूंगा
मैं किसी शख्स की नहीं , रियासत की नहीं
मुल्क की ही इबादत करता हूँ , इसे सियासत मत समझो ." ---- राजीव चतुर्वेदी
2 comments:
मैं किसी शख्स की नहीं , रियासत की नहीं
मुल्क की ही इबादत करता हूँ , इसे सियासत मत समझो....waah bahut khub..
मैं किसी शख्स की नहीं , रियासत की नहीं
मुल्क की ही इबादत करता हूँ , इसे सियासत मत समझो...waah bahut khoob....Rajeev ji
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