Sunday, March 9, 2014

फातिहा पढ़ के लौट आने दो मुझे तुझे फ़तह कर लूंगा

"शबनम की शरारा से शरारत को सऊर मत समझो ,
समंदर के अन्दर समाया है बहुत कुछ
इसे समंदर का गुरूर मत समझो
मेरी आँखें आक्रोश से सुर्ख सी हैं इसको सुरूर मत समझो
फातिहा पढ़ के लौट आने दो मुझे तुझे फ़तह कर लूंगा
मैं किसी शख्स की नहीं , रियासत की नहीं
मुल्क की ही इबादत करता हूँ , इसे सियासत मत समझो
." ---- राजीव चतुर्वेदी

2 comments:

Unknown said...

मैं किसी शख्स की नहीं , रियासत की नहीं
मुल्क की ही इबादत करता हूँ , इसे सियासत मत समझो....waah bahut khub..

Unknown said...

मैं किसी शख्स की नहीं , रियासत की नहीं
मुल्क की ही इबादत करता हूँ , इसे सियासत मत समझो...waah bahut khoob....Rajeev ji