Tuesday, July 21, 2015

यह गिरे हुए लोगों के ही समाचार प्रायः क्यों होते हैं ?

"आंधी आयी
आंधी से पेड़ गिरा ...पेड़ से आम गिरे
कहीं समाचार नहीं था
पेड़ से घोंसला गिरा
घोंसले से होंसला गिरा

उल्का गिरी ...जहाज गिरा ...सेंसेक्स गिरा
कल्पना चावला गिरी
सरकार गिरी
संसद में गांधी का चित्र गिरा
समाज का चरित्र गिरा
बोर वैल में बच्चा गिरा
बस खाई में गिरी
बिल्डिंग गिरी ...पुल गिरा
आसमान से पानी गिरा ...ओले गिरे ...युद्ध में शोले गिरे
ऐक्ट्रेस रेम्प पर गिरी ...बिजली कैम्प पर गिरी
अरे यार !
यह गिरे हुए लोगों के ही समाचार प्रायः क्यों होते हैं ?
"

----- राजीव चतुर्वेदी

1 comment:

Sanju said...

Very nice post ...
Welcome to my blog on my new post.