"ब्राह्मणों के तिरोहितवाद ने राष्ट्र को जितना जोड़ा है उतना ही ब्राह्मणों
के पुरोहितवाद ने तोड़ा है ...कभी ब्राह्मणों के पुरोहितवाद ने ...कभी
छत्रियों के भौतिकवाद के विवाद ने ... कभी वैश्यों के पूंजीवाद ने ...कभी
मुलायम/ लालू /शरद के यादववाद ने ...कभी नीतिश / बेनी आदि के कुर्मीवाद ने
...कभी काँसी /मायावती के दलितवाद के नाम पर जाटववाद ने ...कभी किसी पासवान
के पासीवाद ने ...कभी नेताओं के अवसरवाद ने मैकॉले से अधिक इस देश को
डिवाइड एण्ड रूल यानी जातियों में बांटो और राज्य करो के हथकंडे से तोड़ा है
। यहाँ मुसलमान और ईसाई इसलिए शामिल ही नहीं कर रहा हूँ क्योंकि इस
राष्ट्र के बाहर उनकी आस्था के सभी केंद्र हैं तो वह राष्ट्रीय नहीं हैं ।
यहाँ हिन्दू सिख जैन बुद्ध और प्रबुद्ध शामिल हैं... अब अगर जोड़ना है तो
हिन्दू सिख जैन बुद्ध में अंतरजातीय , अंतर क्षेत्रीय विवाह और प्रेम
सम्बन्ध हों ...जातिवाद अपने आप टूट जाएगा ।"---- राजीव चतुर्वेदी
1 comment:
सच कहा आपने जातिवाद से उठकर आपसी सम्बन्ध बने तो यह दंश मिटे और एक दुनिया जातिविहीन मानवता की बने ।
सार्थक चिंतनशील प्रस्तुति
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