"भारत"
का अर्थ आप जानते हैं ? जानते ही होंगे पर वह लोग निश्चित ही नहीं जानते
जिनके लिए भारत मने 'इण्डिया' है . "भा" अर्थात; "प्रकाश" और "रत" का अर्थ
है "संलग्न" यानी जो प्रकाश में संलग्न है वह भारत है...जो ज्योतिर्पुंज
है भारत है . एक समय था जब यह पूरा का
पूरा देश प्रकाश की यात्रा में रच बसा था . और पूरी दुनिया की बाह्य यात्रा
करके लोग यहाँ अंतर् यात्रा के लिए आते थे ... आज भी आ रहे है ... कल भी
आयेंगे . जो आ रहे हैं ...जो रुक रहे हैं वही सच्चे अर्थों में भारतीय है
भले ही उनकी राष्ट्रीयता कुछ भी हो—अमरीकी, रूसी, चीनी,पाकिस्तानी ,
यूरोपियन...... दूसरी और यह भी सच है जो लोग इस अनूठे भूखंड पर रहते हुए भी
पश्चोन्मुख है, जिन्हें देर रात तक डिस्को पार्टियों में जाना है ...
बिजनेस डील करने है और सब तरह की बहिर्यात्राओं की चकाचौंध में उलझकर अपने
को खो देना है, वे केवल अपनी राष्ट्रीयता में भारतीय है, वास्तव में उनका
भारत की आत्मा से कोई सबंध नहीं है ... उन्हें पश्चिम में होना चाहिए.
लाखों ऐसे लोग भारत छोड़कर पशिचम में बस गए है जिन्हें हम अप्रवासी भारतीय
पुकारते है. इस भूखंड पर रहने मात्र से कोई भारतीय नहीं हो जाता है
.—‘’असली भारत भूगोल नहीं, राजनीतिक इतिहास नहीं बल्कि अंतर् यात्रा है
...आत्मा की खोज है...प्रकाश का अनुसंधान है ...अध्ययन , अनुभूति और
आध्यात्म है असली भारत . शंकर , राम, कृष्ण इसके प्रणेता हैं ...प्रकाश
स्तम्भ हैं ... महावीर, बुद्ध ,नानक, गोरख, रैदास आदि हजारों नाम हैं जो
भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं . "भारत" एक भूमि का भौतिक भूभाग नहीं
...हमारी संस्कृति ...हमारी चेतना का प्रकाशपुंज है ...हमारा आध्यात्म है
और इस लिए हमारा राष्ट्र है . हमारे राष्ट्र का एक ही नाम है "भारत " ,
इण्डिया नहीं , हिन्दोस्तान नहीं केवल भारत ." ------ राजीव चतुर्वेदी
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