"रात बाकी हो, दहशत जवाँ हो, दिये बुझ गए हों ,
जिन्दा रहने के हौसलों को फिर से जगाया जाए .
राह में सूखे हुए रिश्तों को अब तापें कब तक
सर्द रातों में बुझे प्यार को जलाया जाए
बेहद खूबसूरत है तन्हाई का अंदाज़ -ए -बयाँ यह भी ,
कि बियाबान में अब अकेले ही कुछ गाया जाए ." ----- राजीव चतुर्वेदी
जिन्दा रहने के हौसलों को फिर से जगाया जाए .
राह में सूखे हुए रिश्तों को अब तापें कब तक
सर्द रातों में बुझे प्यार को जलाया जाए
बेहद खूबसूरत है तन्हाई का अंदाज़ -ए -बयाँ यह भी ,
कि बियाबान में अब अकेले ही कुछ गाया जाए ." ----- राजीव चतुर्वेदी
1 comment:
बहुत सुन्दर बयाँ किया
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