"यह युद्ध
यह क़त्ल
यह भूख
यह जिस्म की हर किस्म बिकती हुयी बाज़ार में
बाज़ार में बेज़ार से हम सोचते हैं
मैं तो बिक रहा हूँ
तू खरीदार का है तो मेरा कहाँ से होगा ?
रहम का वहम अब मुझको नहीं
तू भगवान है , ईसा या अल्लाह
कौन है तू ?
अगर यह दुनियाँ तेरी है तो तू अपने पास रखले
अगर यह जिन्दगी तेरी है तो इसको भी तू अपने पास रखले
तू जालिम है ...तू जालिम है ... तू जालिम है
"तू जालिम है" --- कहूँगा मैं
मुलाजिम मैं नहीं तेरा ." ----- राजीव चतुर्वेदी
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