Monday, July 8, 2013

खुदा खुद से ही खौफजदा था यारो

" तू कभी खुद आ मेरे पास तो तुझे खुदा कहूं ,
वरना खामखयाली में रखा क्या है ?
" ----राजीव चतुर्वेदी
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"अजीब सी रवायत है जरायम की दुनियाँ में ,
लोग सीरत नहीं सूरत छिपाए फिरते हैं
." ----राजीव चतुर्वेदी 
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"  खुदा खुद से ही खौफजदा था यारो ,
उसने ताउम्र अपनी सूरत छिपा कर रखी
." ----राजीव चतुर्वेदी
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"वह मजहब गिरोह जैसा  है ज़रा गौर करें ,
सरगना रूह्पोश और बन्दे नकाबपोश दहशतगर्द हैं काफी
."
               --- राजीव चतुर्वेदी 

1 comment:

डॉ. जेन्नी शबनम said...

सभी बहुत प्रभावशाली, गहरे भाव. शुभकामनाएँ.