"रावण
उत्तम कुल का था. वह मेरठ (उत्तरप्रदेश) का रहनेवाला था और उसकी पत्नी
मंदोदरी जैसलमेर (राजस्थान ) की. वह पुलत्स्कर का नाती और विशेश्रवा का
बेटा था. पुलत्स्कर ने विश्व संस्कृत को प्रथम रंगमंच दिया था और ग्रीक
नाट्य साहित्य में उसका उल्लेख "पुलित्ज़र" के नाम से मिलता है. रावण की
राजसत्ता बांदा / चित्रकूट के दंडकारण्य से श्री लंका तक थी. वह ज्योतिष का
प्रकांड विद्वान् था. उसकी लिखित "रावण संहिता"
ज्योतिष विज्ञान की महान कृति है. रावण ने नृत्य और योग के मानक प्रस्तुत
किये. प्रायः जो विद्वान् और पढ़े लिखे होते हैं वह कायर होते हैं और
निर्णायक मौकों पर आर -पार की लड़ाई या युद्ध से बचते हैं पर रावण विद्वत्ता
और साहस का अद्भुत संयोग था. वह महान विद्वान् और प्रतापी योद्धा था. वह
रक्षसः आन्दोलन का प्रणेता था. इसीलिए उसे राक्षस कहा गया. हुआ यह कि उस
समय इंद्र का राज्य था उसे लोग इंद्र इस लिए कहते थे क्यों कि वह इन्द्रीय
हरकतें यानी कि वासना में लिप्त था . इंद्र एक आदिवासी /बनवासी कन्या शचि
का अपहरण कर लाया था जिसका रावण ने विरोध किया और राजा इंद्र के इस
अत्याचार के विरुद्ध पुरजोर आवाज़ उठाई. जो लोग राजा इंद्र का समर्थन करते
हुए उसके सुर में सुर मिला रहे थे वह "सुर" कहलाये और जो लोग विरोध की आवाज़
बुलंद कर रहे थे वह "असुर" कह लाये. रावण के विरोध से नाराज़ इंद्र ने रावण
और उसके समर्थकों को राज्य -सुरक्षा देने से मना कर दिया तो रावण ने कहा
हम तुम्हारी सरकार को अमान्य करते हैं और अपनी सुरक्षा स्वयं कर लेंगे इस
प्रकार रक्ष सह आन्दोलन चला और रक्ष +सह को कालान्तर में राक्षस कहा जाने
लगा. रावण इन्द्र जैसे इन्द्रीय हरकतें करनेवाले कुकर्मी अईयास और कुबेर
जैसे पूंजीपतियों का वह अक्सर लात -जूता संस्कार करता था. राम से उसका
द्वंद्व दो नायकों का द्वंद्व था.-----रावण को श्रद्धांजलि और राम को भी
प्रणाम !!" ----राजीव चतुर्वेदी
1 comment:
कल्पना की रामायण, रोचक।
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