" चीखती चिड़िया
और
चील की शान्ति
में से
क्या चुनोगे ? सच बताना
महक फूलों की अच्छी थी
तो तोड़ा क्यों उन्हें ?
चहक चिड़िया की अच्छी थी
तो पिंजडा क्यों बना ?
तुम सभी के थे
तो मेरे क्यों हुए ?
शिखर पर तुम चढ़े
फिर लौट आये क्यों ?
ठहर जाओ
क्षितिज के पार मरीचिका विश्राम करती है
ठहरो तुम ज़रा
तुम्हारी गतिशीलता भ्रम बनाती है
सच तो यह है कि
सिद्धांत सभी स्थिर हैं सारे ." ----राजीव चतुर्वेदी
1 comment:
भ्रम में तो रुक कर ही सोचना होता है।
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