tag:blogger.com,1999:blog-7487831862284135803.post1681269764546953117..comments2023-06-25T03:31:24.608-07:00Comments on Shabd Setu: हाथ में खंजर लिए तहजीब के मंजर नज़र आते किसे हैं ?Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/15756910108770679327noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-7487831862284135803.post-77822997770853595212012-10-03T19:08:47.604-07:002012-10-03T19:08:47.604-07:00शोषण शोषित राग चल रहा।शोषण शोषित राग चल रहा।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7487831862284135803.post-45254218469233097782012-10-03T11:41:56.237-07:002012-10-03T11:41:56.237-07:00राग-द्वेष से उबारो तो फिर यह बतलाना राजनीति की भाष...राग-द्वेष से उबारो तो फिर यह बतलाना राजनीति की भाषा क्या है ?हाथ में खंजर लिए तहजीब के मंजर नज़र आते किसे हैं ?<br />यह अजीब दौर है<br />खूंरेज़ आँखों में खूबसूरत से ख्वाब सिमटे हैं<br />यह अजीब दौर है<br />सभ्यता के सवालों को लिए सलीब सा<br />हर किसी के हाथ में ढाल तो है तलवार नहीं<br /><br />अत्यंत सुंदर,<br /><br />वर्तमान स्थिति को प्रस्तुत करती हुई रचना।...बधाईk p singh , journlisthttps://www.blogger.com/profile/08900282306241899448noreply@blogger.com