Friday, January 30, 2015

...और इस प्रकार देश के फुटकर कोनों में हुतात्मा नाथू राम गोडसे अमर हुआ

"इस देश के एक कोने में लोग अफज़ल गुरू को शहीद बता रहे हैं ... दूसरे कोने में भिंडरावाले को शहीद बताया जा रहा है ...जिनको विदेशी आस्था का अस्थमा है उनको बिन लादेन की शाहदत विश्व मानवता के लिए अपूर्णीय क्षति लगती है। ...देश के स्वदेशी कोने में कुछ लोग कराह रहे हैं --- "हुतात्मा गोडसे" ...कौन थे नाथू राम गौडसे ? ...इनकी एक असफल सी प्रेस थी और एक दुपतिया अख़बार निकलता था ...यह अंग्रेजों और मुसलमानों के प्रति इतने नेक दिल थे कि यद्यपि इन्हें रिवोल्वर चलाना आता था ...इनके पास उस जमाने में विदेशी रिवोल्वर के अवैध सप्लायर थे फिर भी कभी किसी अंग्रेज या मुसलमान के विरुद्ध अपने अखबार नें कुछ भी नहीं लिखा और कभी किसी अंग्रेज या मुसलमान के गोली तो दूर गुलेल से भी एक कंकड़ नहीं मारा । आज़ादी के किसी आन्दोलन न में कभी भाग लिया न जेल गए ।...खैर यह अमन पसंद शांतिदूत आज़ादी मिलने तक चुप रहा ...आखिर और कब तक चुप रहता ? ...जिन्ना से नाराज़ था ...मुसलमानों से नाराज था ...और चुप नहीं रह सका ...निहत्थे गाँधी को उपासना स्थल जाते में मार दिया । ...और इस प्रकार देश के फुटकर कोनों में हुतात्मा नाथू राम गोडसे अमर हुआ . तेरा कातिल मेरा मसीहा का उत्तर आधुनिक काल जारी था ...और ...और आने वाली नश्लों को हम बता रहे थे ...अपने बच्चों को हम संस्कार दे रहे थे --- मसीहा बनने के लिए कातिल होना अनिवार्य है ।"----- राजीव चतुर्वेदी

Tuesday, January 27, 2015

गाँधी की हत्या आज़ाद भारत की पहली आतंकवादी घटना थी


"नाथू राम गौडसे गोली चलाना तो जानता था पर गुलेल से भी कभी एक कंकड़ किसी अंग्रेज को नहीं मारा था ...नाथूराम गौडसे पाकिस्तान के निर्माण और उसके बाद मुसलमानों द्वारा हिन्दुओं के व्यापक क़त्ल ऐ आम से छुब्ध था पर उसने कभी जिन्ना को मारने का प्रयास नहीं किया, न ही कभी किसी मुसलमान को मारा. हिंसा के बारे में मोहम्मद के अनुयायी और गौडसे के अनुयायी सामान विचार रखते हैं ." ---- राजीव चतुर्वेदी

( नाथूराम गौडसे के अनुयाइयों का काल्पनिक राष्ट्रगान  )

" जन गण मन खलनायक जय हे
भारत भाग्य मिटाता
पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा
द्राविड उत्कल दंगा
विन्ध्य हिमांचल यमुना गंगा
तू है पूरा भूखा नंगा
जब अंग्रेज थे भागे
तब तुम निंद्रा से जागे
गाँधी के गोली मारा
जन गण दंगल दायक जय हे
भारत भाग्य मिटाता
हाय हाय ! ...हाय हाय !! ...हाय हाय !!! ...
"


"गाँधी गीता के अध्येता एक तर्क संगत हिन्दू थे ...मरते समय भी उनके हाथ में गीता ,मुँह पर ..".हे राम !..हे राम !! ... हे राम !!"...था ...कृष्ण के बाद गाँधी से बड़ा राजनीतिक नायक अभी तक कोई नहीं हुआ ...आज भी दुनियाँ के तमाम देशों में क्रांतियाँ गाँधी का नाम लेकर हो रही हैं ...गौडसे ने गाँधी की हत्या ही नहीं की वह गाँधी नामक कुतुबनुमा भी तोड़ दिया कि जिससे नवस्वतंत्र अबोध भारत दिशा देख रहा था ...तुम गौडसेवादियो एक अदद नारा भी नहीं गढ़ सके. गाँधी से उधार ले कर आज तक नारे लगा रहे हो,-- निर्लज्जो ! ...स्वराज ...रामराज्य ..."एक विधान, एक प्रधान, एक संविधान" ...सामान नागरिक संहिता...स्वदेशी ...कुटीर उद्योग ... ग्राम सभा...सबको शिक्षा, सबको काम ... अस्पृश्यता उन्मूलन ...सस्ता सुलभ शासन और न्याय ...वन्देमातरम ..."
कातिल को मसीहा बताते लोगो एक दिन तुम में से कुछ लोग ऐसे ही तुम्हारे सुझाये (कु) तर्क के सहारे मार दिए जायेंगे ...मारे जा रहे हैं . लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास है तो सहमती / असहमति का जन चेतना जन बहसों से निर्माण करो . असहमति पर हत्या लोकतान्त्रिक मूल्यों की जड़ों में विष देना है ...हिंदुत्व की परंपरा रही है नन्हा सा नचिकेता यम से संवाद कर सकता है ...विश्व विजेता अर्जुन से यक्ष प्रश्न करता है ...इस्लाम शस्त्र से और हिन्दू शास्त्रार्थ से जीतने की परंपरा हैं ...अर्जुन कृष्ण से सवाल करता है ...हिंसा के बारे में मोहम्मद के अनुयायी और गौडसे के अनुयायी सामान विचार रखते हैं .गाँधी की हत्या आज़ाद भारत की पहली आतंकवादी घटना थी .
" ---- राजीव चतुर्वेदी

"इस देश के एक कोने में लोग अफज़ल गुरू को शहीद बता रहे हैं ... दूसरे कोने में भिंडरावाले को शहीद बताया जा रहा है ...जिनको विदेशी आस्था का अस्थमा है उनको बिन लादेन की शाहदत विश्व मानवता के लिए अपूर्णीय क्षति लगती है। ...देश के स्वदेशी कोने में कुछ लोग कराह रहे हैं --- "हुतात्मा गोडसे" ...कौन थे नाथू राम गौडसे ? ...इनकी एक असफल सी प्रेस थी और एक दुपतिया अख़बार निकलता था ...यह अंग्रेजों और मुसलमानों के प्रति इतने नेक दिल थे कि यद्यपि इन्हें रिवोल्वर चलाना आता था ...इनके पास उस जमाने में विदेशी रिवोल्वर के अवैध सप्लायर थे फिर भी कभी किसी अंग्रेज या मुसलमान के विरुद्ध अपने अखबार नें कुछ भी नहीं लिखा और कभी किसी अंग्रेज या मुसलमान के गोली तो दूर गुलेल से भी एक कंकड़ नहीं मारा । आज़ादी के किसी आन्दोलन न में कभी भाग लिया न जेल गए ।...खैर यह अमन पसंद शांतिदूत आज़ादी मिलने तक चुप रहा ...आखिर और कब तक चुप रहता ? ...जिन्ना से नाराज़ था ...मुसलमानों से नाराज था ...और चुप नहीं रह सका ...निहत्थे गाँधी को उपासना स्थल जाते में मार दिया । ...और इस प्रकार देश के फुटकर कोनों में हुतात्मा नाथू राम गोडसे अमर हुआ . तेरा कातिल मेरा मसीहा का उत्तर आधुनिक काल जारी था ...और ...और आने वाली नश्लों को हम बता रहे थे ...अपने बच्चों को हम संस्कार दे रहे थे --- मसीहा बनने के लिए कातिल होना अनिवार्य है ।"----- राजीव चतुर्वेदी

Friday, January 23, 2015

सरस्वती ज्ञान और विद्या की देवी है ...सभी की सामान ...काश , हमारी होती


" सरस्वती ज्ञान और विद्या की देवी है ...सभी की सामान ...काश , हमारी होती ...काश एकलव्य और अर्जुन को एक सा प्यार दे पाती ...कुछ लोगों ने सरस्वती का अपहरण किया और पता नहीं उसे किस ब्यूटी पार्लर में ले गए कि वह लक्ष्मी के स्वरुप में दिखने लगी ...शिक्षा की आढतें चल निकलीं ...निजी कोचिंग ,स्कूल / कॉलेज /वश्वविद्यालय ...सम्पन्नों के बच्चों को पढ़ाने के लिए विपन्नों के बच्चों के अंगूठे काट लिए इन्होने ...शिक्षा अब भिक्षा में नहीं मिलती थी बिक रही थी ...शिक्षा उपहार नहीं बाज़ार थी ...अचानक हमारे बच्चों ने जाना कि सरस्वती की कृपा आभूषण की तरह है आवश्यकता नहीं ...योग्य बेरोजगार नवजवानों की भीड़ के आगे किसी सोनियाँ , लालू , मुलायम ,पासवान ,महाजन ,नितीश की योग्य औलादें इठला रही थीं ...अचानक हमने देखा लक्ष्मी की आधात पर सरस्वती नौकरी कर रही थी ...योग्य लोग टाटा /अम्बानी की मेहरबानी पर कुर्बानी दे रहे थे ...याद है , शिक्षा के बाजारीकरण के लिए जो समिति बनी थी उसमें कोई शिक्षाविद नहीं था --- "कुमार मंगलम बिरला -अनिल अम्बानी समिति " कवि ह्रदय अटल बिहारी जी ने बनायी थी और हमारे शान्ति के कबूतर हमेशा हमेशा को उड़ गए थे ...शिक्षा इंद्रा जी के काल से मनमोहन काल तक काल के गाल में ही गयी है ...हमारे भाल पर सरस्वती तिलक नहीं लगा सकी ..."सभी को सामान और मुफ्त शिक्षा" का नारा संविधान के नीति निदेशक तत्वों में दर्ज एक लावारिस सा जुमला है ...आज भी अभिजात्य स्कूलों के आगे गाँव के टाटा पट्टी वाले असली भारत के स्कूल मुँह बाए खड़े हैं ...लक्ष्मी के पुत्रों के लिए सरस्वती के पुत्र सेवक /नौकर चाकर ढाले जा रहे हैं ...जिन्होंने सरस्वती की कृपा खरीद पायी उन्होंने सरस्वती से संस्कार नहीं लिए बल्कि सरस्वती को सरकारी नौकरी पाने के लिए सनद की तरह इस्तेमाल किया ...और फिर इनके हाथों में सरस्वती एक कारगर असलहा बन चुकी थी ...सरकारी कर्मचारियों ने अपनी औकात भर पद का असलह लगा कर लूटा IAS ने लूटा, PCS ने लूटा, SSP ने लूटा, Dy,SP ने लूटा, थाना इंचार्ज ने लूटा , दरोगा / सिपाही ने अपनी औकातभर लूटा ,डॉक्टरों ने लूटा , RTO /ARTO ने लूटा, टेक्स अधिकारियों ने लूटा , अमीनो ने लूटा, कमीनो ने लूटा, ... शिक्षा विभाग में BSA /DIOS में तो सरस्वती की सेविकाओं यानी महिला अध्यापिकाओं की इज्जत तक को जिले- जिले, ब्लोक- ब्लोक लूटा ...लुटा पिटा आदमी जब न्यायलय गया तो उसे वकीलों से ले कर पेशकारों ने लूटा ...सरस्वती पुत्रों की इस लूट को देख कर पत्रकार कब तक चुप रहता सो उसने भी लूटा ...सरस्वती पुत्र गब्बर के सांभा बन गए थे और गुजरी बसंत पंच्मियों से ले कर इस बसंतपंचमी तक संस्कारों की बसन्ती ई अस्मत इन लुटेरों से खतरे में ही थी . सरस्वती हम सबकी है ...हम सभी का सामान शिक्षा का अधिकार है --- क्या हम इसे एक आन्दोलन नहीं बना सकते ? " ----- राजीव चतुर्वेदी









Wednesday, January 14, 2015

मैं माचिश हूँ मेरे मित्र

"मैं माचिश हूँ मेरे मित्र
तुम अगर ज्वलनशील होगे
तो हम मिल कर दहकेंगे
तुम अगर अगरबत्ती होगे
तो हम मिल कर महकेंगे

तुम अगर पानी होगे
तो तुमसे मिल कर मैं बुझ जाऊंगा
मुझे रगड़ो वक्त के शिलालेखों पर
मैं जलना चाहता हूँ
यह हो सकता है कि
तुम्हारे स्पर्श से कोई संगीत निकले
पर मैं तुम्हें छूना नहीं चाहता
मैं जलना चाहता हूँ अपनी आग में
आने वाली पीढ़ियों के उजाले के लिए
अपनी देह पर स्पर्श का संगीत सुनते
शायद तुम सोना चाहते हो
मैं दहकता हूँ
महकता हूँ
बहकता हूँ
पर आग लगाता हूँ
लोरी नहीं गाता .
" ----- राजीव चतुर्वेदी

Monday, January 12, 2015

...और अब वही कौम आतंकवाद के लिए जानी जाती है


"उन्होंने इत्र ईजाद कर मानवता को कभी महकाया था ... उन्होंने अद्भुद और बेमिशाल खूबसूरत स्थापत्य भी किये ... उन्होंने न्याय को व्यवस्था भी दी और शब्दावली भी जो आज तक हमारी अदालतों में गूंजती है ...उन्होंने महान साहित्य और अद्भुद संगीत दिया ... निश्चय ही एक काल खण्ड में उनसे सभ्यता महकी और चहकी ...फिर उन्होंने शराब दी ...जी हाँ "अल कोहल" अंगरेजी नहीं अरबी का शब्द है । फिर सभयता महकी, चहकी और बहकी ...। अचानक एक मोड़ आया और वह कौम जो औरत को पर्दानशीन मानती थी उसने कुछ औरतों को बाज़ार नें बेजार किया ...पतन शुरू हो चुका था । और अब वही कौम विध्वंश, धमाके, निर्दोषों के क़त्ल, औरतों के अपहरण और उन्हें बाजार में सरे आम बेचने के लिए, आतंकवाद के लिए, जुल्म और जरायम के लिए जानी जाती है । आज विश्व सभ्यता को कभी बहुत कुछ देने वाला इस्लाम और वह मुसलमान कौम विश्व सभ्यता के लिए सबसे बड़ा खतरा है । ...आज दहशतगर्दी की मुखर या मौन हिमायत करती कौम वक्त के आईने में अपना बदलता चेहरा देखे । आईना तोड़ने से कोई बन्दर सिकंदर नहीं हो जाता ।" ---- राजीव चतुर्वेदी




 

Tuesday, January 6, 2015

परशुराम राजतंत्र का विनाश करने वाले क्रांतिकारी थे न कि क्षत्रियों का



"अल्पज्ञान अर्थ का अनर्थ कर देता है । परशुराम राजतंत्र का विनाश करने वाले क्रांतिकारी थे
न कि क्षत्रियों का विनाश करने वाले बिलकुल वैसे ही जैसे प्रकारांतर में वामपंथी क्रांति के प्रतीक चरित्र चे ग्वेरा थे। "भुज बल भूमि भूप बिन कीन्ही सहिस बार महिदेवन दीनी " --- यहाँ भूप माने राजा और महिदेव माने किसान है । अर्थात परशुराम ने बाहुबल की दम पर भूमि से राजतन्त्र समाप्त कर दिया और सैकड़ों बार भूमि पर मूल जोत करने वाले किसानों को अधिकार दीया ।

परशुराम का विरोध करने वाले मूढ़ लोग यह नहीं देखते कि अत्याचारी हैहय वंशीय क्षत्रियों से राज्य छीनकर उन्होंने कोई खुद नहीं रखा था बल्कि प्रजावत्सल क्षत्रिय राजाओं को ही दिया था। उन्होंने पृथ्वी से २१ बार अत्याचारी हैहयवंशी क्षत्रियों का सफाया किया था न कि पूरी क्षत्रिय जाति का। गुणगान करने वाले कवियों ने अतिशयोक्ति अलंकार में क्षत्रियों का संहार लिख दिया। यदि पृथ्वी से पूरी क्षत्रिय जाति का संहार किया होता तो दोबारा क्षत्रिय कहाँ से होते ? साथ ही उन्हें जातिवादी कहने वाले भी यह नहीं जानते कि दुनिया के प्राचीनतम मार्शल आर्ट कलरिपयट्टु के संस्थापक परशुराम ने इसकी शिक्षा केरल के निम्न जाति के नायर लोगों को दी ताकि वह अपने ऊपर होने वाले अत्याचारों का डट कर मुकाबला कर सकें ।

परशुराम भृगु वंश से थे उनकेपिता ऋषि जमदाग्नि औरमाता रेणुका थी ।भगवान् परशुराम की जन्मस्थली वर्तमान् का इंदौर
शहर (मध्यप्रदेश) है । उनका बाल्यकाल मंदाग्नि पर्वत निकट वज्रेश्वरी,महाराष्ट्र मेँ बीता । परशुराम ने महैन्द्र पर्वत पर ध्यानसाधना की जो वर्तमान् मेँ ओडिशा के पश्चिम क्षेत्र मेँआता है । गणेश
जी को एकदंत बनाने वाले भगवान् परशुरामही थे। सबरी माला पर्वत पर अय्यप्पा भगवानकी मूर्ति की स्थापना भगवान् परशुराम नेकी थी । केरल मेँ श्री परशुरामस्वामी मंदिर,तिरुअनत्पुरम,भगवान् परशुराम को समर्पित एकमात्र 2000वर्ष पुराना मंदिर है । भगवान् परशुराम द्रोणाचार्य, भीष्म और कर्ण केगुरु थे और भविष्य मेँ उन्हैँ कल्कि भगवानका भी गुरु बनना है । मालाबार और कोँकण अर्थात् केरल, कर्णाटक, गोवा,महाराष्ट्र के समुद्री क्षेत्र
को परशुराम क्षेत्र कहा जाता है।
!!  राजतन्त्र के विरुद्ध जनतंत्र के प्रथम उदघोषक ...जमीदारी उन्मूलन के प्रथम प्रवक्ता पराक्रमी परशुराम की जयन्ती पर बधाई  !!"  ---- राजीव चतुर्वेदी